क्रांति बातों से लेकर अब डिजिटल रूप ले चुका है अब इंसान को मशीन बनना पड़ेगा या फिर मशीन , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के माध्य्म से इंसान को कंट्रोल करेगा जैसा कि सोशल मीडिया ,ई-कॉमर्स साइटों के माध्य्म से आपका व्यवहार, हैसियत, दोस्ती हर डेटा मोबाइल में संरक्षित करते हैं सभी के पास स्टोर है सभी का उपयोग कर आपके मन-मस्तिष्क को कंट्रोल किया जा रहा है । जरा सोचियेगा एक तरह के लोग क्यों ही आपके दोस्त बनते हैं आपके विचारों से इतर चीजें क्यों नहीं दिखाई जाती हैं हेट-स्पीच के माध्यम से कब आपके विचार और व्यवहार बदल जाएंगे आपको पता भी नहीं चलेगा ये एक दिन में नहीं होता है सब एक एजेंडे और प्रोपेगैंडा के माध्यम से हर विचार को कौन कितनी तेजी से सनसनीखेज रुप से पहुँचाता है ।। इसके लिये बड़ी-बड़ी टेक कम्पनियों डेटा माइनिंग के लिये करोड़ो रूपये खर्च कर रही है ताकि आप एक प्रोडक्ट बन के रह जाएं आपका अपना विचार प्रकट न कर पाएं । विज्ञापन और it सेल के माध्यम से हर गतिविधियों को प्रसारित और उसकी प्रस्तुतिकरण पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान खींचा जाता है ।
भाषा के आधार पर उच्च संस्थानों में क्लास डिविजन
क्लास डिविजन मुख्यत: तीन है अपर क्लास ,मिडिल क्लास और लोअर क्लास ये सामाजिक वर्गीकरण जाति के आधार पर नहीं हैं ये वर्गीकरण पैसे और भाषाई आधार पर हैं जो समाज में गरीबी और अमीरी की खाई को और गहरा किया हैं। भारत के महानगरों से लेकर कस्बों तक ये खाई दिखाई पड़ती है। भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में उच्च शिक्षा में अंग्रेजी भाषा का उपयोग अंग्रेज सरकार से चली आ रही है जो आज भी जारी है।स्कूली शिक्षा में निजी स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई होती हैं परंतु सरकारी स्कूलों में आज भी हिंदी या स्थानीय भाषा का उपयोग होता है । जिनके पास पैसे और संसाधन मौजूद हैं वे अंग्रेजी भाषा में निजी स्कूलों से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं पर जो अभावग्रस्त हैं पैसे की तंगी है वे किसी तरह से शिक्षा स्थानीय भाषा में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
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